
फागी/लदाना/मुकेश कुमार। भारत गौरव आर्यिका रत्न 105 विज्ञा श्री माताजी लदाना में धर्म की भव्य प्रभावना बढा रही है जैन समाज के मीडिया प्रवक्ता राजाबाबू गोधा ने अवगत कराया कि आज प्रातः चंद्र प्रभु भगवान के अभिषेक शांतिधारा बाद अष्टद्रव्यों से पूजा हुई। बाद में आर्यिका श्री ने अपने मंगलमय प्रवचन में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि सद्ज्ञान के अभाव – में किया गया कर्म, पुण्य के स्थान पर पाप पैदा करता है पुण्य में पाप की ओर प्रवृत्ति नहीं जाती,हृदयहीनता से पाप जन्मता और बढ़ता है हमारे जिस कर्म के परिणाम स्वरूप हमारा और दूसरों का हित होता है वही पुण्य है और जिससे हमारा और दूसरों का हित होता. है वह पाप है। माँ का बच्चों को डाँटना, गुरु का शिष्य पर शासन करना दोनों कर्म बड़े हैं कठोर प्रतीत होते हैं, पर उसके परिणाम में बच्चे और शिष्य का हित होता है। इसमें माता व गुरु का हित निश्चित है। शाश्वत सत्य है कि जिस कर्म से दूसरों का हित होगा उससे हमारा अहित असंभव है। कर्म करते समय जहाँ हम अपने लघु स्वार्थ की सीमा में आबद्ध होकर दूसरे का हित भूल जाते हैं. वही कर्म पुण्य लगता हुआ भी पाप हो जाता है। इस स्थिति में तीन तरह की वृत्तियाँ रहती हैं। प्रथम-दूसरे का हित हो यह तो ठीक है, परन्तु न होने पर हम क्या करें- हमें अपना हित देखना है। दूसरी- हमारी क्रिया से दूसरे का अहित और अपना हित होता है। तीसरी वृत्ति इससे भिन्न है कि हमें दूसरों का अहित करने में अपना हित लगता है। सर्वश्रेष्ठ मंगलकारी वृत्ति यह है कि अपनी हानि भी सहकर हम दूसरे का कल्याण करें।गोधा ने अवगत कराया कि आज रेनवाल मांजी जैन समाज ने आर्यिका संघ को रेनवाल मांजी में आगमन हेतु श्री फल भेंट किया ,यह संघ कल प्रातः रेनवाल के लिए मंगल विहार करेगा जहां पर समाज के सहयोग से शांति नाथ महामंडल विधान की भव्यता के साथ पूजा अर्चना होगी। कार्यक्रम में लदाना समाज के अध्यक्ष केलास ठोलिया, पारस कासलीवाल, विनोद जैन, विरेन्द्र जैन,सुकुमाल जैन, प्रेमचंद गोधा, राहुल जैन, सुनील जैन, तथा संतोष जैन सहित सम्पूर्ण समाज साथ साथ था।