मनुष्य को स्वयं अपने संस्कारों के प्रति सचेत रहकर विपरीत प्रभावोत्पादक कारणों का समय पर शमन करना उचित है- आर्यिका विज्ञा श्री

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फागी/लदाना/मुकेश कुमार। परम पूज्य भारत गौरव आर्यिका रत्न 105 विज्ञाश्री माताजी स संघ का आज लदाना ग्राम में भव्य मंगल प्रवेश हुआ जैन समाज के मीडिया प्रवक्ता राजाबाबू गोधा ने अवगत कराया कि यह संघ समेलिया ग्राम में भव्य मंदिर शिलान्यास करवाने के बाद आज यहां गांव की सीमा पर पहुंचा जहां पर जैन समाज ने भव्य मंगल आगवानी कर जयकारों के साथ ग्राम में भ्रमण कराते हुए मंदिर जी के बाहर पाद प्रक्षालन कर आरती करके संत भवन में ठहराया कार्यक्रम में आर्यिका श्री ने अपने मंगलमय उद्बोधन में श्रावकों को संबोधित करते हुए कहा कि ने व्यक्ति की सोच समझ और कार्य सब संस्कारों के फल-फूल है। इसीलिये संस्कार के महत्व को पहचाना हितकर होता है। जन्म के पूर्व संस्कारों का प्रभाव तो पड़ता ही है।

जन्म के तुरंत बाद से एक एक कण उसके निर्माण में सहायक होते हैं ,वातावरण और संगति की प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष संवेदनाये और मानसिक प्रतिक्रियायें आरंभ में तीव्र गति से संपन्न होती है, जो स्थायी प्रकृति धारण कर लेती है। बाल्यावस्था में अचेतन मन पर आंतरिक और बाहय सभी संवेदनायें अंकित होती रहती हैं, इनकी प्रतिक्रिया संसार का आकार ग्रहण करने में सहायक बनती है। मनुष्य को स्वयं अपने संस्कारों के प्रति सचेत होकर विपरीत प्रभावोत्पादक कारणों का समय पर शमन करना उचित है। गोधा ने अवगत कराया कि कार्यक्रम में लदाना जैन समाज के अध्यक्ष कैलाश ठोलिया, राजेंद्र गोधा, पारस कासलीवाल ,पदम जी जैन ,संतोष जैन, विनोद जैन ,शांतिलाल गोधा, प्रेम चन्द गोधा ,सुकमाल जैन विरेंद्र जैन सहित सारा समाज साथ साथ था।

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