धर्म को धारण करने वाला व्यक्ति कभी दुखी नहीं होता धर्म ही दुखों से निकाल कर सुख में पहुंचा देता है- आर्यिका विज्ञा श्री

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दूदू /माधोराजपुरा/मुकेश कुमार। आचार्य 108 श्री विराग सागर महाराज की सुयोग्य शिष्या भारत गौरव प.पू. गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी संसघ का शुक्रवार को माधोराजपुरा कस्बे की सीमा में भव्य मंगल प्रवेश हुआ जहां गांव की सीमा पर जैन समाज ने बैंड बाजों द्वारा संघ की भव्य आगवानी कर जयकारों के साथ नगर भ्रमण कराते हुए सघ का मंदिर पर पाद प्रक्षालन कर आरती करके ठहराया। जैन समाज के मीडिया प्रवक्ता राजाबाबू गोधा ने अवगत कराया कि आर्यिका श्री ने भरी धर्म सभा में उपस्थित धर्मात्माओं को संबोधन देते हुये धर्म की महिमा बताई आर्यिका श्री ने कहा कि – धर्म एक ऐसी काष्ठ की नाव है जो भव्य जीवों को संसार रूपी समुद्र से शीघ्र ही तार देती है,धर्म को धारण करने वाला व्यक्ति कभी दुःखी नहीं होता,जो हमे दुखों से निकालकर सुख में पहुंचा देता है वहीं वास्तविक धर्म है अहिंसामयी धर्म ही सबसे महान व उत्कृष्ट है। वस्तु के स्वभाव को समझना असली धर्म है, धर्म करने में प्रदर्शन नहीं होना चाहिये बल्कि आत्मदर्शन होना चाहिये धर्म के बिना मनुष्य जीवन भी पशु के समान हैअत: इस मनुष्य पर्याय रूपी अनमोल रत्न की कीमत करके जीवन धर्म पूर्वक जिओ,गोधा ने अवगत कराया कि 18 जून को आर्यिका संघ का समेलिया ग्राम में भव्य मंगल प्रवेश होगा एवं 19 जून का जीर्ण शीर्ण जिनालय का पुनर्निमाण हेतु भव्य शिलान्यास समारोह होगा ।

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