एसडीआरएफ की पाठशाला एक पहल रोजाना एक घंडा बच्चों को देंगे शिक्षा

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दूदू/मुकेश कुमार। गाड़ोता में लगभग 100 बीघा का ये लाजवाब कैम्पस आज राजस्थान पुलिस की पहचान है। पिछले 10 वर्षों से मुख्यालय के आस पास निवासरत भोपा जाति के 15 परिवार जीवनयापन करते है। लगभग 100 की संख्या में सदस्य है जिनमे 30 पुरुष , 35 महिलाएँ व 35 बच्चे है। इनका काम मज़दूरी करना और किसी प्रकार से अपना जीवन -यापन करना है। इन ज़रूरतमंद लोगों की मदद के लिए एसडीआरएफ सेनानायक पंकज चौधरी आईपीएस ने कई प्रयास व नवाचार किए जिनमे एसडीआरएफ क्रैच के अलावा हाल संचालित एसडीआरएफ पाठशाला ने इन बच्चों को पढ़ाने व मेधावी बच्चों को नज़दीकी स्कूल में दाख़िले का ज़िम्मा लिया है।

उम्मीद है इन ज़रूरतमंद परिवारों से एक बच्चा भी पढ़ लिखकर आगे बढ़ गया तो इन सभी परिवारों को एक दिशा व विज़न मिल जाएगा,अभी एक छोटी शुरुआत है पर ये शुरुआत एक संदेश देती है। ये बच्चे पढ़ लिख जाएँगे तो समाज व राष्ट्र के ऐसेट होंगे और यदि ग़लत राह पर चले गए तो प्रशासन व पुलिस के लिए सरदर्द बनेंगे। राजस्थान में ऐसे लाखों बच्चे हैं जो उचित अवसर मिलने पर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकते है। एसडीआरएफ राजस्थान आपदा में सहारा के साथ ही साथ ज़रूरतमंदों का भी सहारा बने इसी उद्देश्य से एसडीआरएफ के सेनानायक पंकज चौधरी ने एसडीआरएफका एक जवान नियुक्त किया है जो रविवार छोड़कर प्रतिदिन इन बच्चों को सुबह 9 बजे से 10 बजे एक घंटा सभी विषय पढ़ाएगा।

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