
जयपुर/मुकेश कुमार। स्वामी जीवाराम महाराज के बताए मार्ग पर चलकर समाज कर सकता है तरक्की। रूढ़िवादी परंपराओं को छोड़कर शिक्षक और अग्रसर होने की आवश्यकता गांव गांव जाकर संत महात्माओं द्वारा भजनों एवं प्रवचनों के माध्यम से समाज में जागृति लाने की की जरुरत। जीवाराम स्वामी गांव भावपुरा में समाज के छात्रावास बनाने का लक्ष्य। स्वामी जीवाराम महाराज की जन्म भूमि पर निर्माणाधीन गुरुद्वारे का कार्य प्रगति पर भावपुरा में रैगर छात्रावास जयपुर सांसद रामचरण बोहरा ने दस लाख रुपये देने की घोषणा। श्री राम जन मंडल के संस्थापक एवं संत शिरोमणि स्वामी जीवाराम जी महाराज के जन्मस्थली सांगानेर तहसील के भावपुरा गांव में स्वामी कृष्णानंद महाराज के अथक प्रयासों से गुरुद्वारा का कार्य प्रगति पर है। स्वामी कृष्णानंद महाराज ने संत शिरोमणि जीवाराम जी महाराज द्वारा देखे गए सपनों को साकार करते हुए 4 बीघा भूमि पर रेगर छात्रावास बनाने का लक्ष्य रखा है इसी प्रकार दूदू उपखंड मुख्यालय पर रैगर छात्रावास बनाने के लिए प्रयासरत है स्वामी कृष्णानंद महाराज ने बताया कि संत शिरोमणि जीवाराम जी महाराज अपने गांव में 2 कमरों का निर्माण किया गया था वह कमरे जीण सिण स्थिति में बने हुए थे उन्हें तो तुड़वाकर कर उस जगह पर गुरुद्वारा का निर्माण से चल रहा है शीघ्र ही गुरुद्वारा बनकर तैयार हो जाएगा।

स्वामी जी ने अपनी एक बैठ वार्ता में बताया कि स्वामी जीवाराम महाराज ने अपने कार्यकाल में एक शिव मंदिर का निर्माण करवा रखा था। महाराज को देवासम होने के पश्चात जमीन पर गांव के कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया था उन लोगों से कब्जा छुड़वा कर जमीन श्री राम जन्म मंडल के कब्जे में ली गई। उक्त जमीन पर स्वामी कृष्णानंद महाराज छात्रावास एवं वाचनालय का निर्माण कराने के लिए और प्रयासरत है। स्वामी कृष्ण महाराज की कार्यशैली को देखकर जयपुर सांसद रामचरण बोहरा ने दास लाख रूपये सांसद कोटे से देने की घोषणा की है। स्वामी जी विश्व आनंद महाराज सावरदा उत्तराधिकारी स्वामी स्वामी कृष्णानंद महाराज गांव- गांव जाकर सत्संग भजनों के माध्यम से समाज में फैली हुई रूढ़िवादी परंपराओं को त्यागने मृत्यु भोज बंद करने शिक्षा की ओर अग्रसर होने का संदेश देते रहते हैं समाज ने भी संदेश को अपने जीवन में उतार कर रूढ़िवादी परंपराओं को छोड़ने के लिए प्रेरित हुए हैं गत दिनों ग्राम झाग मे समाज ने स्वामी जी के वचनों से लाभान्वित होते हुए मृत्यु भोज बंद करने का निर्णय लिया।