बुरी आदतों का करो दमन: आर्यिका विज्ञाश्री माताजी

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नेनवा/ मुकेश कुमार। प. पू. भारत गौरव श्रमणी गणिनी आर्यिका रत्न 105 विज्ञाश्री माताजी ससंघ नैनवां में धर्म प्रभावना कर रही है । समाज के मिडिया प्रवक्ता राजाबाबू गोधा ने अवगत कराया कि श्री अग्रवाल आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर बड़ा मंदिर से प्रातः अभिषेक, शांतिधारा के पश्चात श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर में प्रवेश हुआ। वहां माताजी के मंगलमय प्रवचन हुए माताजी ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि – हमें अपने जीवन में बुरी आदतों को छोड़कर अच्छी आदतों को जीवन में अंगीकार करना चाहिए। एक बार स्वामी रामकृष्ण से एक साधक से पुछा, ‘ मैं हमेशा भगवान का नाम लेता रहता हूँ फिर भी मेरे मन में कुविचार क्यों उठते हैं। उन्होंने साधक को समझाने के लिए एक किस्सा सुनाया एक आदमी के पास पालतू कुत्ता था वह उसे गोद में लेता, यहां तक कि खाते पीते, सोते-जागते या बाहर जाते समय भी कुत्ता उसके साथ ही रहता था उसकी इस हरकत को देखकर एक बुजुर्ग ने उससे कहा कि एक कुत्ते से लगाव ठीक नहीं क्या पता कब किसी दिन कोई अनहोनी न कर बैठे। यह बात उस आदमी में घर कर गई उसने तुरंत कुत्ते से दूर रहने की ठान ली लेकिन कुत्ता इस बात को भला कैसे समझे?’ वह तो मालिक को देखते ही दौड़कर उसकी गोद में आ जाता था बहुत दिनों की मेहनत के बाद उसकी यह आदत छूटी स्वामीजी ने साधक से कहा, ‘तुम भी वास्तव में ऐसे ही हो। जिन सांसारिक भोग-विलास में आसक्ति की आदतों को तुमने इतने लम्बे समय से पालकर छाती से लगा रखा हैं, वे भला तुम्हें आसानी से कैसे छोड़ सकती हैं बुरी आदतों का दमन करोगे तो ही मन की एकाग्रता बढ़ेगी और चित्त में शांति आती चली जाएगी।

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