विरावा के लाल ने रीटभर्ती परीक्षा की प्रथम प्रयास में पास, मा का साया उठने के बाद पिता ने बंधाई हिम्मत सफलता की हासिल।

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जालोर । भीमराज के जीजा व पेशे से कॉन्ट्रेक्टर प्रकाश बंशीवाल कहते जालोर जिले के चितलवाना कस्बे से सटे विरावा गांव निवासी हैं कि जिस लगन व परिश्रम के साथ भीमराज ने पहले ही प्रयास में रैगर जटिया समाज के लाल ने मुश्किल परिस्थितियों में भी हौसला नहीं हारते हुए रिट भर्ती परीक्षा को पहले प्रयास में पास किया है, माँ का निधन हो जाने के बाद से भीमराज को किन मुश्किलातों का सामना करते हुए इस मुकाम तक पहुंचाया है इस बात का जिक्र करते ही दुर्गाराम रैगर की आंखे भर आती हैं, पेशे से किसान दुर्गाराम बताते हैं कि भीमराज जब दस वर्ष का था तभी उसकी माँ का निधन हो गया था परवरिश व था, व पढ़ाई में कोई कमी नहीं रहे इसलिए वे रात को खेत पर तथा दिनभर घर में भीमराज के साथ ही वक्त गुजारते थे. दुर्गाराम बताते हैं कि एक वक्त ऐसा भी आया जब उनके पास बेटे की किताबें लाने के लिए भी पैसे नहीं थे लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और हर विषम • रीटभर्ती परीक्षा उत्तीण की है अगर वे अपने इसी नजरिए को यथावत जारी रखते हैं तो निःसन्देह भीमराज का भविष्य उज्वल है, रोटभर्ती परीक्षा में सफल होने बाद भीमराज ने अपनी सफलता का श्रेय पिता के अटूट विस्वाश गुरुजनों की शिक्षा परिजनों व बहन बहनोई की सहायता को दिया है, भीमराज का कहना है कि छात्रों को विकट से विकट परिस्थितियों में भी अपने धैर्य को नही खोना चाहिए, परिस्थितिया कुछ समय के लिए अनुकूल हो सकती हैं लेकिन सदैव विपरीत बनी रहे ऐसा नहीं है, जटिया समाज धीरे धीरे शिक्षा के साथ साथ राजनीति व प्रसासनिक महकमों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहा है, भीमराज ने युवाओं को अपने लक्ष्य पर फोकस करते हुए निरन्तर परिस्थिति में बेटे का साथ दिया भीमराज बचपन से ही पढ़ाई में प्रयास करने की बात कही, उनका कहना है कि अगर कोई व्यक्ति अव्वल थे इस बात का पिता दुर्गाराम को सुरु से ही भान था इसलिए निस्वार्थ भाव से अपना लक्ष्य निर्धारित कर लगातार प्रयास जारी उन्होंने विषम से विषम परिस्थितियों में भी भीमराज की पढ़ाई जारी रखता है तो किसी भी सूरत में सफलता मिलनी तय है।

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