मजदूर दिवस का नहीं दिखा असर, फागी उपखंड क्षेत्र में मजदूरों ने किया कठोर परिश्रम

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फागी कस्बे के मुख्य बाजार में ठेले से बोझ खींचता मजदूर

फागी/संवाददाता रामबिलास जोशी। एक तरफ तो सरकार गरीबों व मजदूरों के लिए नाना प्रकार की योजनाएं चलाकर मजदूरों को लाभान्वित करने की बात कर रही है दूसरी ओर राज्य सरकार ने भली नरेगा के श्रमिकों व बिजली व पानी की कार्मिकों का अवकाश रखकर अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाने का दावा कर इतिश्री कर ली होगी, लेकिन फागी उपखंड क्षेत्र के मजदूरों की कहानी कुछ अलग ही देखने को मिली है। जहां 42 डिग्री तापमान में भी निर्माण श्रमिक व फलदार श्रमिक 2 जून की रोटी के लिए भीषण गर्मी में भी मजदूरी करते हुए मिले। जब हमारे संवाददाता मौके पर श्रम कर रहे हैं मजदूरों के पास पहुंचे तो वहां पर महिला श्रमिक एक भीषण गर्मी में भी बड़े-बड़े पत्थर उठाकर कड़ा परिश्रम करते नजर आए। तो एक मजदूर भीषण गर्मी में हथोड़ा चलाकर अपनों को तोड़ता नजर आया जिसके शरीर से पसीना बहाता दिखाई दे रहा था, लेकिन क्या करें परिवार को पालने के लिए कठोर परिश्रम करना उनकी मजबूरी हो गई है। और उन श्रमिकों को मजदूर दिवस के बारे में पूछा तो उनका कहना था कि यह तो सरकार का ढकोसला है। आज हम मजदूरी नहीं करे तो सरकार थोड़ी हमारे परिवार को पालेगी, यह कहते हुए वापस काम करने लग गया। इस प्रकार बाजार में कड़े श्रमिक बोज का ठेला डालते भी नजर आए।फागी उपखण्ड क्षेत्र में बाल मजदूरी, शिक्षा, बाल विवाह इन सब पर रोक लगने व गरीबी आने के बाद भी मजदूरों को 365 दिन में 100 दिन की मजदूरी मिलना मुश्किल हो गया। जीवन से जुड़ी बीमारी से जूझते हुए 40, 50 वर्ष की उम्र में दम निकल जाता है।फिर भी कई गरीब मजदूर मजदूरी करके अपने परिवार का लालन पालन कर रही हैं। क्षेत्र के कई मजदूरों का कहना है कि सरकार को न्यूनतम मजदूरी को बढ़ा देना चाहिए ,जिससे मजदूरों के सामने 2 जून की रोटी के संकट से जूझना नहीं पढ़े।

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