अंहकार मरता है तो केवल भक्ति से- साध्वी श्री लक्ष्मी

दूदू। विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत सिरोही कलां के गुफा वाले बालाजी मंदिर प्रांगण में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में तीसरे दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। भागवत कथा के दौरान बीच-बीच में भजनों की मधुर स्वर पर श्रोतागण भाव विभोर होकर भक्तिरस में झूमने लगे। वृंदावन से आये हुए कथा वाचक साध्वी श्री लक्ष्मी ने बताया कि आज कथा में प्रहलाद चरित्र एवं हिरणाकश्यप वध का प्रसंग सुनाया। अध्यात्म के अनुसार हिरणाकश्यप अहंकार का स्वरूप है जो न भीतर मर सकता है और ना ही बाहर ऊपर न नीचे न नर से न मनुष्य से अंहकार केवल मरता है तो भक्ति से जब भक्ति आती है तो मनुष्य सरल हो जाता है। “सरल” का मतलब बताया की “स” सीता “र” राम “ल” लक्ष्मण तीनो का एक मिश्रण ही सरल स्वभाव है।